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Sri Ramcharitramanas Ramayan Aatho Kand Big Size (Sachitra Evom Satik) [Hardcover] Sri Goswami Tulsidas and Pandit Jwala Prasad

1,600.00

  • Publisher ‏ : ‎ Sri Durga Pustak Bhandar Private Limited, Prayagraj
  • Author :  Sri Goswami Tulsidas
  • Editor  :  Pandit Jwala Prasad
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Format  :  Hardcover
  • Item Weight ‏ : ‎ 3 kg 700 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 36 x 27 x 5 cm
  • Country of Origin ‏ : ‎ India

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SKU: Durga Pustak 1
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Ramayana is one such chapter which teaches the path of victory of good over evil. Will the portion of the path, if viewed openly, look like the sequence of events taking place in each aspect. Sath Kand of Ramayana The utility of Ramayana in the upliftment of Indian culture cannot be denied. Do we love each and every character of the Mahabharata to walk on the true and righteous path in life. Perhaps this is the reason why Ramayana is viewed with so much base and reverence today. Will in the article we will meet you in detail about every incident. Those who read and listened to Ramayana, it would probably be that the entire Ramayana is a collection of Sath Adhyay and aatho (Eight) Kands, but there will be very few people in the bare of the specific story of each episode. In our episode of Religion and Culture, today we are going to give you a small glimpse of the entire episode of Ramayana. Hope this will definitely help a little in increasing your knowledge.

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Weight 3700 kg
Dimensions 36 × 27 × 5 cm

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Sri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.

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Shri Ram Charitmanas Gita Press Ramcharitmanas, Tulsidas Krit Ramcharitmanas Ramayan Code 81

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Ramcharitmanas means the ‘The lake of life and deeds of Lord Shri Ram’. It is a great scripture and poetic classic written by Goswami Tulsidasji. Ramcharitmanas is not just a story, it presents the teachings of ancient Sanatan Dharma in narrative parables combining both philosophical and devotional elements. Ramcharitmanas consists of 7 Kaandas, each Kaanda enlightening on a particular phase of his life. Ramayan tells the story of Prince Rama, from the city of Ayodhya and kingdom of Kosala, whose wife Sita is abducted by Ravana, the demon king of Lanka. This was published by Gita Press Gorakhpur, the world’s largest publisher of Hindu religious texts. It was first established in 1923 to promote Hinduism through its 2000+ books across 15 languages. This book is written in Awadh Hindi and includes the meaning of text!
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Sri Ramcharitmanas Ramayana
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Sri Ramcharitmanas Ramayana of Tulsidas

300.00
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्य भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करनेवाला ऐसा ग्रंथरत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशिर्वादात्माक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग मंत्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानवमात्र के कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवान्ह और मासपरायण के विश्रामस्थान, गोस्वामी जी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अंत में रामायण जी की आरती दी गयी है।
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Ramayan Mahanatak (Sampoorn Ramleela) By-Rameshchandra Varshanrey
About the Author : बात सन् १ ९ ७४ की है । भारतीय कला निकेतन अवागढ़ ( एटा ) के मुख्य निर्देशक श्री ओम् प्रकाश शर्मा द्वारा व्यंग्य में राजा जनक का पार्ट मुझे स्टेज पर अभिनीत करने को देना भगवत प्रेरणा से इतना बड़ा रूप धारण कर लेगा इसकी कल्पना मुझे स्वप्न में भी नहीं थी । मेरे पार्ट पर वे इतने मुग्ध हुए कि उनको कहना पड़ा कि वकील साहब आप इसी प्रकार की पूरी रामायण नाटक शैली में लिख दीजिये । काम मेरी रुचि का था । रामायण महानाटक के रूप में उसकी रचना हुई जो आदर्श रामलीला क्लब अवागढ़ द्वारा बाहर से नहीं अपितु अवागढ़ से ही अनुकूल पात्रों द्वारा पूर्ण अभ्यास के बाद श्री अशोक पचौरी के सफल निर्देशन में प्रस्तुत की गई । नाटक के प्रकाशक के सम्बन्ध में कुछ कहे बिना बात अधूरी रहेगी । जब रणधीर बुक सेल्स ( प्रकाशन ) हरिद्वार के प्रकाशक को मेरे नाटक के बारे में पता चला तब उन्होंने इसके प्रकाशन का साहसपूर्ण निर्णय लिया । कार्य सरल और छोटा नहीं था फिर भी उन्होंने इसे सुचारु रूप से सम्पन्न किया तथा नाटक को पाठकों के सामने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया । वे मेरे अपने ही हैं , ऐसा उनके व्यवहार से जाना । अत : उनको धन्यवाद देना तो सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा फिर भी वे साधुवाद के पात्र तो हैं ही । अब पाठकों के उत्साह को देखते हुए इस पुस्तक का दूसरा संशोधित संस्करण आपके हाथों में है । आशा है सब राम प्रेमी इस सम्पूर्ण रामायण महानाटक का फिर से जोरदार स्वागत करेंगे । विनीत रमेश चन्द्र वार्ष्णेय The thing is from the year 1974. I could not have imagined that the part of Raja Janak in the satire by Shri O3M Prakash Sharma, Chief Director of Indian Kala Niketan Avagadh (Etah) to play me on stage would take on such a big form with divine inspiration. He was so fascinated by my part that he had to ask the lawyer, sir, you should write the entire Ramayana in this type of drama style. The work was of interest to me. It was composed in the form of Ramayana Mahanatak, which was presented under the successful direction of Shri Ashok Pachauri after full practice by the friendly characters not from outside but from Avagarh itself by Adarsh ​​Ramlila Club Awagarh.
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