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HINDU VRAT AUR TYOHAR
HINDU VRAT AUR TYOHAR
Format : Paperback
Pages : 224
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Additional information
Weight | 0.25 kg |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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Adbhut Mantra Sagar (Sampoorn Panchon Bhag)
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"Dive into the mystical world of 'Adbhut Mantra Sagar (Complete Five Parts)' and unlock the secrets of ancient mantras and their transformative powers. This comprehensive five-part series delves deep into the essence of these powerful mantras, guiding readers on a spiritual journey towards self-discovery and enlightenment. Explore the profound wisdom contained within these sacred texts and embark on a quest for inner peace and fulfillment. Immerse yourself in the enchanting realm of mantras with 'Adbhut Mantra Sagar' and experience the magic of divine sound vibrations resonating through your being."
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Vedant Darshan
₹100.00
महर्षि वेदव्यास-प्रणीत ब्रह्मसूत्र भारतीय दर्शन का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ वेद के चरम सिद्धान्त परब्रह्म का निदर्शन कराता है। अतः इसे वेदान्त-दशर्न भी कहते हैं। वेद के उत्तरभाग उपासना और ज्ञान दोनों की मीमांसा करने के कारण इसका एक नाम उत्तरमीमांसा भी है। पदच्छेद और अन्वय सहित विस्तृत हिन्दी-व्याख्या।
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Sri Ramcharitmanas Ramayana of Tulsidas
₹300.00
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्य भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करनेवाला ऐसा ग्रंथरत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशिर्वादात्माक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग मंत्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानवमात्र के कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवान्ह और मासपरायण के विश्रामस्थान, गोस्वामी जी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अंत में रामायण जी की आरती दी गयी है।
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Dhan Prapti Ke Dharmik Anushthan evom Shri Lalita Sahasranam Stotra
₹200.00
महालक्ष्मी की विभिन्न स्तोत्रों से आराधना तथा श्रीसूक्त, महालक्ष्मी सूक्त , देवराज इन्द्रकृत लक्ष्मी स्तोत्र , महालक्ष्मी अष्टक , कनकधारा स्तोत्र , पुरुष सूक्तम् , धनदा लक्ष्मी स्तोत्रम् , धनदादेवी स्तोत्रम् , धनदा कवचम् , ऋणमोचन , मंगल स्तोत्रम् , ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र , ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्र , गणेश स्तवन से लक्ष्मी की वृद्धि कैसे , लक्ष्मी प्राप्ति के कुछ प्रयोग , ऋणमुक्ति के लिए प्रयोग , श्री ललिता सहस्रनाम अर्थात् ' श्री ' तथा ' विद्या ' की देवी के एक हजार नामों की महिमा और दीपावली पूजन , श्रीयन्त्रम् और महालक्ष्मी यन्त्र , कनकधारा यन्त्र इत्यादि इस पुस्तक में संकलित किए गए हैं । Worship of Mahalakshmi with various hymns and Srisukta, Mahalakshmi Sukta, Devraj Indrakrit Lakshmi Stotra, Mahalaxmi Ashtak, Kanakdhara Stotra, Purush Suktam, Dhanda Lakshmi Stotram, Dhanda Devi Stotram, Dhanda Kavacham, Loan Mochan, Ganesh Stotra, Ganesh Stotra, Ganeshi Stotram, Ganeshi Stotra, Mahalaxmi Ashtak, Kanakdhara Stotra, Purush Suktam How to increase Lakshmi by eulogy, Some uses of Lakshmi attainment, Use for liberation from debt, Sri Lalita Sahasranama i.e. glorification of a thousand names of Goddess of 'Shri' and 'Vidya' and Deepawali worship, Sri Yantram and Mahalaxmi Yantra, Kanakdhara Yantra etc. are collected in the book.
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Ramayan Mahanatak
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By-Rameshchandra Varshanrey
About the Author : बात सन् १ ९ ७४ की है । भारतीय कला निकेतन अवागढ़ ( एटा ) के मुख्य निर्देशक श्री ओम् प्रकाश शर्मा द्वारा व्यंग्य में राजा जनक का पार्ट मुझे स्टेज पर अभिनीत करने को देना भगवत प्रेरणा से इतना बड़ा रूप धारण कर लेगा इसकी कल्पना मुझे स्वप्न में भी नहीं थी । मेरे पार्ट पर वे इतने मुग्ध हुए कि उनको कहना पड़ा कि वकील साहब आप इसी प्रकार की पूरी रामायण नाटक शैली में लिख दीजिये । काम मेरी रुचि का था । रामायण महानाटक के रूप में उसकी रचना हुई जो आदर्श रामलीला क्लब अवागढ़ द्वारा बाहर से नहीं अपितु अवागढ़ से ही अनुकूल पात्रों द्वारा पूर्ण अभ्यास के बाद श्री अशोक पचौरी के सफल निर्देशन में प्रस्तुत की गई । नाटक के प्रकाशक के सम्बन्ध में कुछ कहे बिना बात अधूरी रहेगी । जब रणधीर बुक सेल्स ( प्रकाशन ) हरिद्वार के प्रकाशक को मेरे नाटक के बारे में पता चला तब उन्होंने इसके प्रकाशन का साहसपूर्ण निर्णय लिया । कार्य सरल और छोटा नहीं था फिर भी उन्होंने इसे सुचारु रूप से सम्पन्न किया तथा नाटक को पाठकों के सामने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया । वे मेरे अपने ही हैं , ऐसा उनके व्यवहार से जाना । अत : उनको धन्यवाद देना तो सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा फिर भी वे साधुवाद के पात्र तो हैं ही । अब पाठकों के उत्साह को देखते हुए इस पुस्तक का दूसरा संशोधित संस्करण आपके हाथों में है । आशा है सब राम प्रेमी इस सम्पूर्ण रामायण महानाटक का फिर से जोरदार स्वागत करेंगे । विनीत रमेश चन्द्र वार्ष्णेय The thing is from the year 1974. I could not have imagined that the part of Raja Janak in the satire by Shri O3M Prakash Sharma, Chief Director of Indian Kala Niketan Avagadh (Etah) to play me on stage would take on such a big form with divine inspiration. He was so fascinated by my part that he had to ask the lawyer, sir, you should write the entire Ramayana in this type of drama style. The work was of interest to me. It was composed in the form of Ramayana Mahanatak, which was presented under the successful direction of Shri Ashok Pachauri after full practice by the friendly characters not from outside but from Avagarh itself by Adarsh Ramlila Club Awagarh.
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