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Sankshipta Braham Puran (Gujarati)
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Geeta Press Code 2169
Category:
Religious
Book information
Book Publisher
Geeta Press
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Gita-Tattva-Vivechani (Hindi)
₹400.00
गीता-तत्त्व-विवेचनी—भगवान् श्रीकृष्णकी दिव्यवाणीसे नि:सृत सर्वशास्त्रमयी गीताकी विश्वमान्य महत्ताको दृष्टिïमें रखकर इस अमर संदेशको जन-जनतक पहुँचानेके उद्देश्यसे गीताप्रेसके आदि संस्थापक परम श्रद्धेय ब्रह्मïलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रणीत गीताकी एक दिव्य टीका। इसमें २५१५ प्रश्न और उनके उत्तरके रूपमें प्रश्नोत्तर शैलीमें गीताके श्लोकोंकी विस्तृत व्याख्याके साथ अनेक गूढ़ रहस्योंका सरल, सुबोध भाषामें सुन्दर प्रतिपादन किया गया है। इसके स्वाध्यायसे सामान्य-से-सामान्य व्यक्ति भी गीताके रहस्योंको आसानीसे हृदयंगम कर अपने जीवनको धन्य कर सकता है।
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Vedant Darshan
₹100.00
महर्षि वेदव्यास-प्रणीत ब्रह्मसूत्र भारतीय दर्शन का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ वेद के चरम सिद्धान्त परब्रह्म का निदर्शन कराता है। अतः इसे वेदान्त-दशर्न भी कहते हैं। वेद के उत्तरभाग उपासना और ज्ञान दोनों की मीमांसा करने के कारण इसका एक नाम उत्तरमीमांसा भी है। पदच्छेद और अन्वय सहित विस्तृत हिन्दी-व्याख्या।
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Ramayan Mahanatak
₹400.00
Ramayan Mahanatak (Sampoorn Ramleela)
By-Rameshchandra Varshanrey
About the Author : बात सन् १ ९ ७४ की है । भारतीय कला निकेतन अवागढ़ ( एटा ) के मुख्य निर्देशक श्री ओम् प्रकाश शर्मा द्वारा व्यंग्य में राजा जनक का पार्ट मुझे स्टेज पर अभिनीत करने को देना भगवत प्रेरणा से इतना बड़ा रूप धारण कर लेगा इसकी कल्पना मुझे स्वप्न में भी नहीं थी । मेरे पार्ट पर वे इतने मुग्ध हुए कि उनको कहना पड़ा कि वकील साहब आप इसी प्रकार की पूरी रामायण नाटक शैली में लिख दीजिये । काम मेरी रुचि का था । रामायण महानाटक के रूप में उसकी रचना हुई जो आदर्श रामलीला क्लब अवागढ़ द्वारा बाहर से नहीं अपितु अवागढ़ से ही अनुकूल पात्रों द्वारा पूर्ण अभ्यास के बाद श्री अशोक पचौरी के सफल निर्देशन में प्रस्तुत की गई । नाटक के प्रकाशक के सम्बन्ध में कुछ कहे बिना बात अधूरी रहेगी । जब रणधीर बुक सेल्स ( प्रकाशन ) हरिद्वार के प्रकाशक को मेरे नाटक के बारे में पता चला तब उन्होंने इसके प्रकाशन का साहसपूर्ण निर्णय लिया । कार्य सरल और छोटा नहीं था फिर भी उन्होंने इसे सुचारु रूप से सम्पन्न किया तथा नाटक को पाठकों के सामने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया । वे मेरे अपने ही हैं , ऐसा उनके व्यवहार से जाना । अत : उनको धन्यवाद देना तो सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा फिर भी वे साधुवाद के पात्र तो हैं ही । अब पाठकों के उत्साह को देखते हुए इस पुस्तक का दूसरा संशोधित संस्करण आपके हाथों में है । आशा है सब राम प्रेमी इस सम्पूर्ण रामायण महानाटक का फिर से जोरदार स्वागत करेंगे । विनीत रमेश चन्द्र वार्ष्णेय The thing is from the year 1974. I could not have imagined that the part of Raja Janak in the satire by Shri O3M Prakash Sharma, Chief Director of Indian Kala Niketan Avagadh (Etah) to play me on stage would take on such a big form with divine inspiration. He was so fascinated by my part that he had to ask the lawyer, sir, you should write the entire Ramayana in this type of drama style. The work was of interest to me. It was composed in the form of Ramayana Mahanatak, which was presented under the successful direction of Shri Ashok Pachauri after full practice by the friendly characters not from outside but from Avagarh itself by Adarsh Ramlila Club Awagarh.
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Shri Durgasaptshati (With Hindi Translation)
By Gita Press
₹70.00
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। इस संस्करण में संस्कृत के मूल श्लोकों के साथ सुन्दर हिंदी भावार्थ भी दिया हुआ है। The Shridurgasaptshati is well accepted religious text of Hindu religion. Shridurgasaptshati is full of religious mystery with blessed story of goddess Bhagavati. The devotees recite this book with great reverence and attain their desired goal. The book contains the procedure of reciting it along with Kavach, Argala, Kilak, Vaidik, Tantrik Ratrisukt, Devyatharva-Shirsh, Navaarn-Vidhi, original text, Durgaashtottarnamstotra, Shri-Durga-Manas worship, all the three Rahasyas (secrets), Kshama-Prarthna, Siddhi-Kunzika-Stotra and Aarti.
Shri Durgasaptshati (With Hindi Translation)
By Gita Press
₹70.00
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। इस संस्करण में संस्कृत के मूल श्लोकों के साथ सुन्दर हिंदी भावार्थ भी दिया हुआ है। The Shridurgasaptshati is well accepted religious text of Hindu religion. Shridurgasaptshati is full of religious mystery with blessed story of goddess Bhagavati. The devotees recite this book with great reverence and attain their desired goal. The book contains the procedure of reciting it along with Kavach, Argala, Kilak, Vaidik, Tantrik Ratrisukt, Devyatharva-Shirsh, Navaarn-Vidhi, original text, Durgaashtottarnamstotra, Shri-Durga-Manas worship, all the three Rahasyas (secrets), Kshama-Prarthna, Siddhi-Kunzika-Stotra and Aarti.